बस इस तिरंगे की पहचान को देखना
बस इस तिरंगे की पहचान को देखना
बस इस तिरंगे की पहचान को देखना….
कभी इन पत्थरों पर चल के देखना…
कभी इस मिट्टी की खुशबू महसूस करके देखना…
है हर चाल मे कितना प्यार, कभी आजमा के देखना…
बॅस इस तिरंगे की पहचान को देखना….
जो अपने प्राणो की बलि चढ़ाई उनके परिवार को देखना…
उन सिपाहियो की माँ के गीले चुनरी के पल्लू को देखना…
उनके घर के किसी कोने मे बुझे दीये की आस को देखना …
उनके आँगन मे गूंजते वन्दे मातरम को सुनना…
बस इस तिरंगे की पहचान को देखना….
थोड़ी दीये की लौ खुद के दिल में भी जलाओ…
किसी के आंसुओं की कीमत तुम भी जानो…
ऐसा कर जाओ की खाली न जाए वो हुई कुर्बानियां…
मिट्टी के हर कण-कण में वन्दे मातरम सुनाई दे जाए…
बस इस तिरंगे की पहचान को देखना….
इसके तीनो रंगो की पहचान को देखना…
एक हाथ मे गीता रखना दूजे हाथ आज क़ुरान रखना…
मज़हब जाती भाषा की दीवार न हो इसका ख्याल रखना…
प्यार और देशभक्ति की चुनर ओढ़े ऐसा हिन्दुस्तान बनाये रखना…
बस इस तिरंगे की पहचान को देखना.
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