एक फूल किताबोँ मेँ दम तोड़ चुका है, मगर याद नहीँ आता ये किसकी निशानी है


अपनी तो मोहब्बत की यही कहानी है,
टूटी हुई कश्ती ठहरा हुआ पानी है,
एक फूल किताबोँ मेँ दम तोड़ चुका है,
मगर याद नहीँ आता ये किसकी निशानी है..



रूठने मनाने के खेल में,
बहुत रिश्ते पीछे छूटे हैं,
अब क़ायदा बदल गया इस खेल का,
आज मनाने वाले ख़ुद रूठे हैं !!



बेवजह ही वो हमसे बेज़ार हो गये,
हम वफ़ादारी करके भी गद्दार हो गये,
जाने किस बात से खफ़ा है तकदीर,
हम बेगुनाह होकर भी गुनहगार हो गये



आंसू छुपा लिए थे
चेहरे पर नक़ाब ए मुस्कान चढ़ा रखा था
जब तुमसे मिला था उस दिन
ख़ुश था, तुमको बाहों में जो समा रखा था।



किसी को सारा जहां मिल गया,
तो किसी को बस मिलीं ख्वाहिशें,
तलाशतें रहें हम अंधेरों में वो खुशियाँ,
जो बस उजाले की थीं हसरतें।

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