मोहब्बत मुकद्दर है कोई ख़्वाब नही.



वो बात क्या करें जिसकी कोई खबर ना हो।
वो दुआ क्या करें जिसका कोई असर ना हो।
कैसे कह दे कि लग जाय हमारी उमर आपको।
क्या पता अगले पल हमारी उमर ना हो।


मोहब्बत मुकद्दर है कोई ख़्वाब नही।
ये वो अदा है जिसमें हर कोई कामयाब नही।
जिन्हें मिलती मंज़िल उंगलियों पे वो खुश है।
मगर जो पागल हुए उनका कोई हिसाब नही।


ऐसा नहीं था की दिल में तेरी तस्वीर नहीं थी,
बस इतना समझ लो की
हाथो में तेरे नाम की लकीर नहीं थी


दिल मे आरज़ू के दिये जलते रहेगे।
आँखों से मोती निकलते रहेगे।
तुम शमा बन कर दिल में रोशनी करो।
हम मोम की तरह पिघलते रहेंगे।

सामने मंजिल तो रास्ते ना मोड़ना ।
जो मन मे हो वो ख़्वाब ना तोड़ना ।
हर कदम पर मिलेगी सफ़लता ।
बस आसमान छूने के लिए जमीन ना छोड़ना

बनके अजनबी मिले है ज़िंदगी के सफर में
इन यादों को हम मिटायेंगे नहीं
अगर याद करना फितरत है आपकी
तो वादा है हम भी आपको भुलायेंगे नहीं ।।

दर्द बन कर दिल में छुपा कौन है
रह रह कर इसमें चुभता कौन है
एक तरफ दिल है और एक तरफ आइना
देखते है इस बार पहले टूटता कौन है ।।

पत्ते गिर सकते है पर पेड़ नहीं
सूरज दुब सकता है पर आसमान नहीं
धरती सुख सकती है पर सागर नहीं
तुम्हे दुनिया भूल सकती है पर Sahil नहीं ।।

चाहा ना उसने मुझे बस देखता रहा
मेरी ज़िंदगी से वो इस तरह खेलता रहा
ना उतरा कभी मेरी ज़िंदगी की झील में
बस किनारे पर बैठा पथर फेंकता रहा ।।

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