आजादी खैरात में
चूमा था वीरों ने फांसी का फंदा
यूँ ही नहीं मिली थी आजादी खैरात में
भारत देश का हरदम अमित सम्मान करता हूं,
यहां की चांदनी मिट्टी का गुणगान करता हूं,
मुझे चिंता नहीं है स्वर्ग जाकर मोक्ष पाने की,
तिरंगा हो कफ़न मेरा बस यही अरमान रखता हू
अपनी आज़ादी को हम हरगिज़ मिटा सकते नहीं
सर कटा सकते हैं लेकिन सर झुका सकते नहीं
मेरे देश तुझको नमन है मेरा,
जीऊं तो जुबां पर नाम हो तेरा
मरूं तो तिरंगा कफन हो मेरा
यहां की चांदनी मिट्टी का गुणगान करता हूं,
मुझे चिंता नहीं है स्वर्ग जाकर मोक्ष पाने की,
तिरंगा हो कफ़न मेरा बस यही अरमान रखता हू
अपनी आज़ादी को हम हरगिज़ मिटा सकते नहीं
सर कटा सकते हैं लेकिन सर झुका सकते नहीं
मेरे देश तुझको नमन है मेरा,
जीऊं तो जुबां पर नाम हो तेरा
मरूं तो तिरंगा कफन हो मेरा
लड़ें वो बीर जवानों की तरह,
ठंडा खून फ़ौलाद हुआ,
मरते-मरते भी की मार गिराए,
ठंडा खून फ़ौलाद हुआ,
मरते-मरते भी की मार गिराए,
- तभी तो देश आज़ाद हुआ.
Nice
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